क्रिया की परिभाषा (Kriya ki Paribhasha / Definition)
What is Kriya? :
जिस शब्द से किसी कार्य का होना या करना समझा जाय, उसे क्रिया कहते हैं । जैसे - खाना, पीना, गाना , रहना, जाना आदि ।
क्रिया के दो भेद है
Kriya ke bhed / prakar in hindi. There are two types of Kriya / Verb : Sakarmak and Akarmak. Its meanings & example are described below :
सकर्मक क्रिया :
जो क्रिया कर्म के साथ आती है , उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं !
उदाहरण - राम रोटी खाता है ! ( खाना क्रिया के साथ कर्म रोटी है )
अकर्मक क्रिया :
अकर्मक क्रिया के साथ कर्म नहीं होता तथा उसका फल कर्ता पर पड़ता है !
उदाहरण - राम गाता है ! ( कर्म का अभाव है तथा गाता है क्रिया का फल राम पर पड़ता है )
रचना के आधार पर क्रिया के पाँच भेद है
Rachna Ke Aadhar per Kriya ke bhed : Samanya, Sayunkt, Namdhaatu, Prernarth, Purvakalik as described here.
1- सामान्य क्रिया :
वाक्य में केवल एक क्रिया का प्रयोग ! उदाहरण - तुम कूदो , राम पढ़ा आदि !
2- संयुक्त क्रिया :
दो या दो से अधिक धातुओं के मेल से बनी क्रियाएँ संयुक्त क्रियाएँ होती है !
उदाहरण - मीराबाई स्कूल चली गई आदि !
3- नामधातु क्रियाएँ :
क्रिया को छोड़कर दुसरे शब्दों ( संज्ञा , सर्वनाम , एवं विशेषण ) से जो धातु बनते है , उन्हें नामधातु क्रिया कहते है
उदाहरण - अपना - अपनाना , गरम - गरमाना आदि !
4- प्रेरणार्थक क्रिया :
कर्ता स्वयं कार्य न करके किसी अन्य को करने की प्रेरणा देता है
उदाहरण - पिलवाया , पिलवाती आदि !
5- पूर्वकालिक क्रिया :-
जब कोई कर्ता एक क्रिया समाप्त करके दूसरी क्रिया करता है तब पहली क्रिया ' पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है
उदाहरण - वे सुनकर चले गये , मैं कहकर जाउँगा आदि !
What is Kriya? :
जिस शब्द से किसी कार्य का होना या करना समझा जाय, उसे क्रिया कहते हैं । जैसे - खाना, पीना, गाना , रहना, जाना आदि ।
क्रिया के दो भेद है
Kriya ke bhed / prakar in hindi. There are two types of Kriya / Verb : Sakarmak and Akarmak. Its meanings & example are described below :
सकर्मक क्रिया :
जो क्रिया कर्म के साथ आती है , उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं !
उदाहरण - राम रोटी खाता है ! ( खाना क्रिया के साथ कर्म रोटी है )
अकर्मक क्रिया :
अकर्मक क्रिया के साथ कर्म नहीं होता तथा उसका फल कर्ता पर पड़ता है !
उदाहरण - राम गाता है ! ( कर्म का अभाव है तथा गाता है क्रिया का फल राम पर पड़ता है )
रचना के आधार पर क्रिया के पाँच भेद है
Rachna Ke Aadhar per Kriya ke bhed : Samanya, Sayunkt, Namdhaatu, Prernarth, Purvakalik as described here.
1- सामान्य क्रिया :
वाक्य में केवल एक क्रिया का प्रयोग ! उदाहरण - तुम कूदो , राम पढ़ा आदि !
2- संयुक्त क्रिया :
दो या दो से अधिक धातुओं के मेल से बनी क्रियाएँ संयुक्त क्रियाएँ होती है !
उदाहरण - मीराबाई स्कूल चली गई आदि !
3- नामधातु क्रियाएँ :
क्रिया को छोड़कर दुसरे शब्दों ( संज्ञा , सर्वनाम , एवं विशेषण ) से जो धातु बनते है , उन्हें नामधातु क्रिया कहते है
उदाहरण - अपना - अपनाना , गरम - गरमाना आदि !
4- प्रेरणार्थक क्रिया :
कर्ता स्वयं कार्य न करके किसी अन्य को करने की प्रेरणा देता है
उदाहरण - पिलवाया , पिलवाती आदि !
5- पूर्वकालिक क्रिया :-
जब कोई कर्ता एक क्रिया समाप्त करके दूसरी क्रिया करता है तब पहली क्रिया ' पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है
उदाहरण - वे सुनकर चले गये , मैं कहकर जाउँगा आदि !